ratan tata phone call changed life success story

रतन टाटा से मिलने की जिद, 12 घंटे तक किया इंतजार और बदल गई किस्मत

किस्मत को बदलते देर नहीं लगती किसी की भी किस्मत कभी भी बदल सकती है ऐसे ही पुणे मे स्थित मोबाइल एनर्जी डिस्ट्रीब्यूशन स्टार्टअप रेपोस एनर्जी के फाउंडर्स ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि कैसे वह एक मशहूर उद्योगपति रतन टाटा से मिले थे

और उन्हें अपना प्रेजेंटेशन दिखाया था और उसके बाद रतन टाटा ने एक फोन कॉल लगाया था और उनकी जिंदगी बदल दी थी. रतन टाटा ने स्वयं इस स्टार्टअप में निवेश किया है. अभी हाल ही में रिवर्स एनर्जी ने एक ऑर्गेनिक कचरे से चलने वाला एक ‘मोबाइल इलेक्ट्रिक चार्जिंग व्हीकल’ लॉन्च किया है

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रिपोस एनर्जी की शुरुआत अभी कुछ साल पहले ही हुई है ,मनीकंट्रोल की एक खबर के मुताबिक अदिति भोसले वालुंज और चेतन वालुंज ने रेपोस एनर्जी को शुरू किया था. कुछ समय काम करने के बाद उन्हें यह एहसास हुआ कि इस कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें एक मेंटर की ज़रूरत है

वह मेंटर ऐसा होना चाहिए जिसने पहले भी इस दिशा में काम किया हो . कुछ दिनों तक रिसर्च करने के बाद रतन टाटा का नाम इनके सामने आया और इन्होंने  रतन टाटा से मिलने की ठान ली, जो कि एक सही फैसला बनकर साबित हुआ.

अदिति भोसले वालुंज ने देर ना करते हुए तुरनत रतन टाटा से मिलने का सुझाव रखा, लेकिन आप सभी जानते होंगे रतन टाटा कितने बड़े आदमी हैं और यही बात सोचते हुए चेतन ने उन्हें तुरंत ही टोकते हुए कहा, ‘अदित वह कोई हमारे पड़ोसी नहीं है,  जिससे कभी भी  मिलने जाया जा सकता है .’ हालांकि अदिति ने रतन टाटा से मिलने की ठान ली थी और अब वह किसी और की बात नहीं सुनना चाहती थी.

अदिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर लिखे एक पोस्ट में कहा, “हम दोनों ने बिजनेस की कोई औपचारिक पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन हमने जीवन में एक बात सीख ली थी- कोई भी बहाना  किसी भी व्यक्ति के जीवन में  एक नींव का काम करता है, जिसके ऊपर वह शख्स असफलता का घर बनाता है. ऐसा  करके  वह व्यक्ति अपने जीवन  अंधकार की दुनिया में ले जाता है

सभी ने हमें बताया कि हम रतन टाटा से नहीं मिल सकते हैं और यह असंभव है.  लेकिन हमने कभी भी इन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया  और आगे बढ़ते चले गए ,  हमने कभी भी इनके शब्दों को एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया  हमने असंभव को संभव करने  का  पूरा प्रयास किया . हमारे जीवन में ‘नहीं’ कभी भी विकल्प में नहीं था.

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