Anand Mahindra: बैंकिंग सेक्टर में तगड़ी एंट्री, क्या मिल सकता है कमाई का मौका
नमस्ते दोस्तों, आज की बड़ी खबर है कि दिग्गज कारोबारी आनंद महिंद्रा अब बैंकिंग सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। उनके महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप ने प्राइवेट सेक्टर के आरबीएल बैंक (RBL Bank) में करीब 10 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने यह घोषणा की है कि उनकी कंपनी आरबीएल बैंक में 10% हिस्सेदारी खरीदेगी। इस बैंक में महिंद्रा की पहले से ही 3.5% हिस्सेदारी है, जिसे उन्होंने सेकंडरी मार्केट ट्रांजैक्शंस के जरिए खरीदा था।
ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा अब बैंकिंग सेक्टर में बड़ा दांव खेलने की तैयारी में हैं। ऑटो के अलावा कंपनी का बिजनस टेक्नोलॉजी सर्विसेज और नॉन-बैंक लेंडिंग में भी फैला है। लेकिन महिंद्रा ग्रुप अब फॉर्मल बैंकिंग सेक्टर में भी उतरने जा रहा है।
ग्रुप ने बुधवार को कहा कि उसकी पहले से ही आरबीएल बैंक में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी है। यह हिस्सेदारी उसने सेकंडरी मार्केट ट्रांजैक्शंस के जरिए खरीदी थी।
डील पूरी होने के बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा की इनवेस्टमेंट फंड मैपल (Maple) के साथ आरबीएल बैंक में सबसे बड़ी हिस्सेदारी होगी।
आरबीआई बड़ी कंपनियों के बैंक चलाने के पक्ष में नहीं रहा है। हाल में आरबीआई के एक इंटरनल वर्किंग ग्रुप ने बड़ी कंपनियों को बैंक चलाने की अनुमति देने की सलाह दी थी। लेकिन भारी विरोध के चलते आरबीआई ने इस प्रस्ताव को छोड़ दिया था।
महिंद्रा ग्रुप के पास पहले से ही एक एनबीएफसी महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज है। महिंद्रा ग्रुप ने कहा कि उसने आरबीएल में 3.53 फीसदी हिस्सेदारी 417 करोड़ रुपये में खरीदी है। पिछले एक महीने में बैंक के शेयरों में 44 परसेंट तेजी आई है। 26 जून को इसकी कीमत 166 रुपये थी जो बुधवार को 242 रुपये पहुंच गई।
ग्रुप ने कहा कि वह आरबीएल में और निवेश कर सकता है लेकिन यह कीमत, रेगुलेटरी अप्रूवल्स और जरूरी प्रॉसीजर्स पर निर्भर करेगा। हालांकि किसी भी हालत में यह हिस्सेदारी 9.9 परसेंट से ज्यादा नहीं होगी।
इससे पहले मीडिया में खबर आई थी कि महिंद्रा ग्रुप आरबीएल बैंक ने 15 फीसदी से ज्यादा स्ट्रैटजिक स्टेक ले सकता है। लेकिन बैंक ने इस पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि महिंद्रा की हिस्सेदारी केवल 3.53 परसेंट है
बैंक ने साथ ही कहा है कि आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक अगर कोई शेयरहोल्डर किसी बैंक में पांच परसेंट या उससे ज्यादा हिस्सेदारी खरीदता है तो उसके लिए उसे बैंकिंग रेगुलेटर से अनुमति लेनी होती है। बैंक ने कहा कि उसे अब तक ऐसी कोई एप्लिकेशन नहीं मिली है।